Saturday, April 3, 2010

रंगों की बात......

नमस्कार मित्रो
हम लोग आज रंगों के बारे बात करेंगे.....
आप लोग यही सोच रहे होंगे की ये लू के मौसम में रंगों की बात करने क्या मतलब है...? मै तो कभी कभी ये सोचता हु की बात करने का ही क्या मतलब है....?
खैर छोड़िए हम भारतीयों की सबसे बड़ी खासियत यही है की हम हर काम शुरु करने के बाद ही उसका मतलब सोचते है....की उसका क्या फायदा होगा और क्या नुकसान ?
यही वजह है की सड़क के लिए पहले धनराशी अवमुक्त होती...है फिर किसानो को ये समझया जाता है की जो सड़क बनेगी उससे आपकी जमीन बर्बाद होगी...
अगर जमीन बचाना है तो सब लोग अपना काम छोड़ कर लखनऊ चलो...............
इस तरह जो पैसा पास होता है वो है ये तो नही पता लेकिन ये जरुर पता है की जो सड़क बनने वाली थी उसमे गढ़े और साथ ही साथ उस पर मरने वाले लोगो की संख्या रोज रोज बढती जाती है और हम अपने किसी प्रिय को खो कर किसी छुटभैया नेता को अपनी राजनीती चमकाने का मौक़ा दे देते है.....
लेकिन कभी भी ये नही सोचेंगे की इस तरह की गन्दी और काली राजनीती से हम लोग निजात कैसे पा सकते है...?
अरे हम लोग रंगों के बारे में बात करते करते ये कहा चले आये ?इस लम्बी चौड़ी बात में रंगों के बारे में बात करना तो हम लोग भूल ही गये....
अरे माफ़ कीजियेगा ....कहा भूल गये....?
हम लोगो ने काली राजनीती के बारे में तो किया तो है.....
अब चलिए हम लोग काले रंग के बारे में बात करते है.....
जरा सोचिये अगर राजनीती काली है तो खराब है.....लेकिन बाल काले है तो ठीक है.....
जब किसी को बुरी नज़र से बचाना होता है तो हम लोग उसको काला धागा पहनने को को कहते है......लेकिन
जब वही किसी शादी में जाता है तो उसको ये सुझाव दिया जाता है की बेटा शादी में काला कपडा नही पहनते...जो की वो भी उसी धागे से बना है जिस धागे को बांध कर लोग अपने आप को बुरी नज़र से बचाते है....
इन सब बातो को सोच कर तो ये लगता है की हमने अपनी सोच की आगे इन रंगों की एक न सुनी....जरा सोचिये की ये काला रंग अपनी परिभाषा लोगो को क्या बताता होगा....
वो शायद यही कहता होगा की मेरी परिभाषा में (*) नियम एवं शर्ते लागु होती है......
जैसे.... काली मिट्टी में मेरी एक अच्छी छवि है....और वही काली कमाई में बुरी.....वो ये प्रश्न भी करता होगा की....बुरी कमाई के लिए काली लिखना जरूरी है.....?
इस लिए मै काले रंग के साथ हमेशा हमदर्दी रखूँगा...क्यों की....मैंने एक बचपन में एक मुहावरा पढ़ा था...."कालिख पोतना " ये मुहावरा अभी अभी सच हुआ था.....टेनिस सनसनी सानिया मिर्ज़ा के माध्यम से....इन्होने बड़ी सफाई से समस्त भारत के कुवारों के मुह पर कालिख पोती है....
इस लिए हम इस नतीजे पर पहुचते है की.....पहले दिलवाले होना सीखिए....काला और गोरा तो हम अपने कार्यशैली से ही हो सकते है.....अपने सफलता और असफलता के बीच में बेचारे रंगों को न पीसीए....
आपकी प्रतिपुष्टि का हमे इंतजार हमेशा रहेगा.....
धन्यवाद...

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