Wednesday, February 2, 2011

भावना का इस्तेमाल कैसे होना चाहिए....?

नमस्कार मित्रो...
मित्रो कुछ भी कहने से पूर्व मै ये बता दू की ये लेख कोई उत्तर नही बल्कि एक प्रश्न है...
शर्दिया जाने को है और हम लोग फिर से गर्मियों के लिए तैयार है....
वैसे हम लोग को जो मौसम चल रहा होता है वो कम अच्छा लगता है और जब वो जाने लगता है तो फिर वही मौसम खुद ब खुद अच्छा लगने लगता है...
जैसे अब लोग कहते है की यार गर्मी फिर आ रही है फिर से वही धुल,लू ,पसीना वगैरह वगैरह ....
लेकिन मित्रो हर मुलाकात का अंजाम जुदाई ही होता है ....
वैसे हम लोगो के बस में होता हम लोग मौसम को भी अपने हिसाब से अपने पास रखते जब मन चाहे गर्मी और जब मन चाहे तब शर्दी .....
जरा सोचिये की की मौसम विभाग भी अगर निजी कंपनियों का हो जाये तो...तो इसका भी टैरिफ शुरू हो जायेगा....
की ५० रूपये के रिचार्ज पर आप के पास रहेगा मई के महीने में फरवरी का मौसम ................
सोच कर ही कितना अच्छा लग रहा है आप को...लेकिन कौन समझे आप की भावनाओ को ...?
एक बात और है वो ये है की संसार में जो भी इस तरह के कार्य होते है जो नही होने चाहिए वो भावना के कारण ही होते है ...
जैसे की किसी की पैरवी या किसी का कोई कार्य...जब हमारे पास भावना होती है तब ही हमको ज्यादा पैसा कमाना होता है ,तब ही हमारे उपर किसी का दबाव बढ़ता है...,तब ही हमको हमारी नौकरी ज्यादा प्यारी लगती है बजाय किसी अन्याय को देख कर...
आप को शायद ये सब सुन कर कुछ अटपटा सा लगे ...लेकिन हमारे हिसाब से किसी भी कार्य को करने में भावनाओ का बहुत रोल होता है...
तो आप सोच रहे होंगे की बिना भावना के ऐसा कौन है? जो कोई भी कार्य एक दम सटीक करता है बिना किसी भेद भाव के ...
चलिए मै आपको बताता हु....
इस दुनिया में विज्ञानं और प्रकृति के पास कोई भावना नही होती .....
शायद तभी ये दोनों दोनों किसी के साथ कोई भेद भाव नही करती...
जैसे कोई दो कम्प्यूटर है एक हमारा और एक इस देश के मुख्यमंत्री का .....और दोनों में एक ही समस्या है और उसका एक ही निदान है की उसको फोर्मेट करना पड़ेगा ...
अब मेरे पास ऑपरेटिंग सिस्टम की सी डी है ...और मैंने अपना सिस्टम फोर्मेट कर लिया अब बारी आती है मुख्यमंत्री के कम्प्यूटर की ...उनके पास पूरा प्रदेश है, और प्रदेश का हर व्यक्ति उनका हर कार्य सिर आँखों पर रखता है.. उनके पास जेड सीक्यूरीटी दस्ता है अर्थात उनके पास सब कुछ है सिवाय एक ऑपरेटिंग सिस्टम की सी डी को छोड़ के ...
अब जरा सोचिये की हम या आप या कोई भी आदमी जिसको मुख्यमंत्री का कम्प्यूटर ठीक करने का आदेश मिला है वो उसको कैसे पूरा के पायेगा ...
वो लाख हाथ जोड़ ले , रो ले ,दबंगई दिखा ले या सम ,दम ,दंड भेद का कोई भी तरीका अपना ले उस कम्प्यूटर के सामने लेकिन वो कम्प्यूटर तब तक नही ठीक होगा जब तक उसको सम्बन्धित
ऑपरेटिंग सिस्टम से फोर्मेट न किया जाये....क्यों की उस कम्प्यूटर के पास कोई भावना नही है ...उसको नही मतलब की मेरा मालिक कौन है ? और मै अगर नही काम करुगा तो उसका क्या अंजाम होगा ...
लेकिन अगर कोई काम हम लोगो के बस का होता है और वो हम जानते है की गलत है फिर भी हम उस काम के फायदे को ध्यान में रखते है न की उसको की ये काम गलत है या सही...?
क्यों की हम लोगो के पास भावना है ...
तो जरा सोचये की भावनाओ का होना कितना जरूरी है .....?
और उसका इस्स्तेमल कैसे होना चाहिए....?


3 comments:

  1. बहुत बढ़िया छा गए मुझे आपकी भावना अच्छी लगी

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  2. hmm.......achcha hai, pr zraa bhawnao ka dhyan rkhiye..

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