Sunday, February 6, 2011

हादसे से निकला सिद्धांत जो कामयाब भी हुआ ...

नमस्कार मित्रो....
अभी मैंने हादसों का जिक्र किया था कुछ दिन पहले....और उस पर मेरे गुरु जी की टिप्पड़ी थी की कुछ हादसे जीवन में हशीन हो जाते है...
मै उनकी बात से सहमत भी हु...
आज फिर मै आप लोगो को अपना ताज़ा हसीन हादसा बताने जा रहा हु...
हुआ यू की मेरे गुरु जी आज कल बहुत आक्रामक रूप अख्तियार कर लिए है ...की सबको गूगल बाबा का भक्त बनना है...
इस लिए मैंने भी उनके आदेश का पालन किया ....
अब इन्टरनेट है तो ऑरकुट भी होगा..और फेसबुक भी....
इस बार का हादसा इन्ही लोगो से ही सम्बन्धित है.....
आज जब मै शुबह सो कर जगा तो अपना फेसबुक खाता खोला ...लेकिन रोज़ की बहती वो अपनी प्रतिक्रिया नही दे रहा था ...
आज जब मै अपना नाम और पासवर्ड डाल रहा था तो वो खुल ही नही रहा था...
मै बहुत निराश हो गया क्यों की मुझको इन सब चीजो का बिलकुल भी ज्ञान नही है की दो चार बटन टिप टी पाया और सब काम हो गया....बस उतना ही जनता हु जिससे की काम चल जाये....
फिर मै अपना लैपटॉप बंद कर दिया और बाहर चला गया ...उसके बाद मै फिर दोपहर में वापस आ कर अपना फेसबुक खोला ...लेकिन इस बार भी वही रवैया था...फेसबुक महोदय का ...
अब चुकी मै खुद आपको बता चूका हु की विज्ञानं के पास भावनाए नही होती तो मैने भी कुछ ज्यादा प्रयास नही किया...
लेकिन मैंने इस बार वो पढ़ा जो फेसबुक की तरफ से प्रतिक्रिया थी हमको...
अब चुकी मेरा हाथ अंग्रेजी में भी तंग है...सो उसका मतलब भी हमको ठीक ठीक नही पता चला पाया...
लेकिन जितना समझ में आया वो इस प्रकार है...
आपका खाता इस वक़्त उपलब्ध नही है...और इसका हमे खेद है...
हमारे कर्मचारी आपके खाते को दुरुस्त करने में प्रयासरत है...
आगामी कुछ घंटो में आपका खाता दुरुस्त कर दिया जायेगा...
अब मैंने सुना था की इंतजार का फल मीठा होता है...
लेकिन मैंने भी एक बार इंतजार किया था उसमे हमको मीठा फल प्राप्त नही हुआ ...
सो इस बार मैंने सोचा की इंतजार का फल मीठा हो न हो...क्यों न किसी भी फल को मीठा बनाया जाये...
तो मैंने अपना दिमाग लगाना शुरु किया ....की यार फेसबुक जो इतनी बड़ी सोसल नेटवर्किंग साईट है...
जिसके ६० करोर प्रयोगकर्ता है अगर मै आज से इनका प्रयोगकर्ता नही रहा फिर भी इनके पास ५९९९९९९९९९ प्रयोगकर्ता है...फिर भी ये हमको इतना महत्व दे रहा है..
और मार्क जूकेरबर्ग जो फसबूक का मालिक है ने हमसे माफ़ी और हमसे कहा की हमको खेद है...
और उसने अपने कर्मचारी कैलिफोर्निया जहाँ की फेसबुक का मुख्यालय है में मेरे खाते को दुरुस्त करने में लगा रखा है..
ये सब सोच कर मेरा मन खुशी से झूम उठा इतना खुश तो मैं तब नही होता जब रामसजीवन मेरे मेस का कर्मचारी जो हमको खाना खिलाता और हमको रोज़ दो मिठाई देता है जब की सबको केवल एक एक...लेकिन आज हमको लगा की मेरे काम पर लोग कैलिफोर्निया में ब्यस्त है...
अजीब खुशी हुई मेरे मन में...उसके कुछ देर बाद जब मैंने अपना खाता खोला और इस बार मेरा खाता सकुशल खुल गया ....बिलकुल पहले की भाती..
अब मेरे पास खुशी के दो कारण थे...
पहला की मेरे काम में मजदूर इतनी दूर से लगे है...
और दूसरा की मै एक बार फिर से अपने बनाये गये सिद्धांत पर कामयाब हो गया ..."फल चाहे जैसा भी हो उसको मीठा बनाया जा सकता है.."

6 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति.....फल चाहे जैसा भी हो उसको मीठा बनाया जा सकता है........

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  2. आशीष जी आपके आशीर्वाद और शुभी जी आपके शुभकामना के लिए धन्यवाद...

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  3. badhiya likha hai. isi tarah chhoti chhoti cheezon se shuruaat karo....aur kisi bhi phal ko meetha banao.
    lekin hindi theek likho.

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  4. अरे गुरु जी ....कुछ शब्द हिंदी में लिखना बहुत कठिन हो जाता है...
    वैसे मै सुधरने की पूरी कोशिश करूंगा...

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  5. Isa prayaasa kay liyay main aapako badhaaee daytaa hoon. :) Hindi to bolanay aura likhanay dono say hee sudharaygee. :) Aapakaa yaha prayaasa ranga laayagaa aisee aashaa karataa hoon.

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