Thursday, February 3, 2011

मन की सैर.....

नमस्कार मित्रो....
आज मेरे साथ शुबह एक कर बाद एक दो हसीन हादसे हुए...
पहला जब मै होस्तले से क्लास करने निकला तो मेरे मित्र का फोने आया की जल्दी आओ वो आये है...
अब वो कौन है ये जान कर आपको कोई फोयदा नही होने वाला है सो इस बात को यही खत्म कर देते है ..
अब बारी आती दुसरे हादसे की जब मै क्लास में पढने बैठा वैसे आज मै बहुत दिन बात नियत समय पर क्लास में पहुचा था ....
वैसे सच बताऊ तो नियत समय पर क्लास ही नही शुरू हुई थी वरना मै आज फिर लेट हो जाता ...
खैर छोडिये इन् सब बातो को आज क्लास में गुरु जी हम लोगो को कालम लिखना सिखा रहे ...
आप सोच रहे होंगे की इसमें हादसा कैसे हो गया ...
अरे हादसा कही भी हो सकता है जैसे दो दिन पहले आईटीबीपी की सीधी भर्ती में हो गया था....
वैसे मेरा हादसा कोई दर्दनाक नही था मैंने उसको हादसा इस लिए कहा की जो भी हुआ वो कल्पना मात्र ही था लेकिन मनुष्य की ये प्रकृति रही है की वो हमेशा ल्क्पना को ही ढंग से जी पता है..
वर्तमान में हम लोग भविष्य में आने वाली परेसानियो को सोचते है...और फिर वर्तमान और भविष्य दोनों को चौपट कर लेते है...
जैसे आज हमारे पास कोई एषा है जिसको हम कभी अपने से दूर नही जाने चाहते है और एक समय ऐसा भी है की अगर सब कुछ ठीक ठाक चलता रहे तो भी हमको उससे दूर जाना पड़ेगा ...
तो मनुष्य की प्रकृति ये है की वो आने वाले खराब दिन के बारे में सोच कर साथ में चल रहे अच्छे दिन को भी बर्बाद कर लेगा ..
और कही कुछ गडबडा गया तब तो कुछ पूछना ही नही....
वैसे हम हादसे की बाद कर रहे थे वो हादसा ये था की आज गुरु जी कालम लिखने का तरीका बता रहे थे और कह रहे थे की मानो मनीष (यानि की मै ) एक राजनैतिक विशेषग्य और कानूनविद है और वो (यानि की गुरु जी ) एक चोर है जो भिखारियों के पैसे धोके से चुरा लेता है...
और इस अगर मेरे द्वारा एक कालम निकले तो वो कैसा होगा...?
अब मित्रो वो समझाने लगे पुरे क्लास को हाला की मै व्यक्तिगत तौर पर ये कह सकता हु की मै जब वो कुछ समझाने लगते है शायद ही कोई कही दुसरे ख्याल में खो जाता होगा ...
लेकिन जब आज उन्होंने हमको एक राजनैतिक विशेषग्य और कानूनविद बनाया तो मै इस माया सरकार में सारी मोह माया त्याग कर खुद को राजनैतिक विशेषग्य और कानूनविद समझने लगा था और सच बताऊ तो गुरु जी को चोर भी...
और मै उनके क्लास से मन ही मन मुक्त हो चूका था और खुद को कानून का रखवाला और कलम का जादूगर समझ बैठा था...
और उससके बाद मै पुरे ढाई साल में पहली बार उनके क्लास रहते हुए भी नही था ...
शायद उसका कारण यही था की मै भी कल्पनाओ ने में डूब गया था .......
मै गुरु जी को धन्यवाद कहूँगा की उन्होने मुझे ही चुना और बिना किसी मेहनत और बिना की टिकट के हमको कल्पना की दुनिया में सैर करायी...
जाते जाते मै गुरु जी से ये विनती भी करूंगा की एक बार और कालम लिखना बता दे क्यों की मै उनकी क्लास में तो था लेकिन क्लास में नही था...
तो कैसे लगे आपको ये दोनों हादसे ?
हाला की मैंने आपको अभी पहले हादसे के बारे में नही बताया लेकिन वादा तो नही क्यों की वादे अक्सर टूट जाते है ,उम्मीद करता हु की कभी आपको आज के पहले हादसे के बारे भी बताऊंगा....

1 comment:

  1. कभी कभी हादसे भी हसीं हो जाते हैं मनीष लगे रहो बधाई

    ReplyDelete