Thursday, March 10, 2011

चालाकी या फिर बेवकूफी....


नमस्कार मित्रो.....
आज मै आप लोगो ताज़ा घटनाक्रम के बारे में कुछ बताना चाह रहा हु. वैसे आप लोगो से ये विनती करता हु की इस लेख का मतलब ये बिलकुल मत निकालिए गा की मै किसी भी व्यक्तिगत दल की पैरवी कर रहा हु...
लेकिन आप ऐसा मतलब निकाल भी लेगे तो कोई बात नही क्यों की मै भी जो लिखता हु वो किसी न किसी घटना का कोई न कोई मतलब ही होता है...
अब आप ये सोच रहे होगे की मै आप से ये क्यों रहा हु की
इस लेख का ये बिलकुल मत निकालिए गा की मै किसी भी व्यक्तिगत दल की पैरवी कर रहा हु...क्यों की मै बात राजनीती की नही बल्कि मै राजनीती के माध्यम से प्रशासन की बात करने जा रहा हु...
आप लोगो को पता होगा की अभी पिछले ७,८,९ को समाजवादी पार्टी का प्रदेश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था...
जिसमे की समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ ने तीन दिन तक जम के नारेबाजी की और अपना विरोध दर्ज कराया लेकिन कल की जो घटना मैंने देखी और आज के समाचार में देखा और पढ़ा भी...की कोई पुलिसे का एक बड़ा अधिकारी जिसने अपनी पद की गरिमा तो छोडिये मानवता को भी कुचल डाला ...उसने समाजवादी पार्टी के एक कार्यकर्ता को न सिर्फ घसीटा बल्कि उसके मुह पर अपना जूता रख कर उसकी पिटाई भी की ...
उसको पिटते हुए देख कर लग रहा है की वो कोई पुलिसे अधिकारी की हैसियत से नही बल्कि मायावती के रिश्तेदार की हैसियत से पीट रहा है...
हाला की मै उसकी परिस्थिति से वाकिफ हु लेकिन परिस्थिति से निपटने का ये कोई तरीका कोई एक जिम्मेदार अधिकारी अपनाये वो भी वह जहा उससे भी पता है की पत्रकारों के कैमरे ऑन है...
जब की न्यायालय द्वारा आयोजको ये निर्देश जारी किया गया था की अगर इस प्रदर्शन के दौरान किसी भी सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान होता है तो उसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ अयोजो की होगी..
इससे ये पता चलता है की समाज में कोई अव्यवस्था न फैले इसकी चिंता न्यायालय को भी है...केवल इसकी जिम्मेदारी मायावती को ही नही है ...
और जिम्मेदारी होती तो उस वक़्त जब हमारे प्रदेश के लोगो ने मेरे होशो हवास की सबसे कठिन परीक्षा पास की...(अयोध्या फैसला ) तब मायावती का केवल एक बयान आया और जो ये साबित करता है की मायावती को खुद नही पता था की उनका नेतृत्व इतना कमजोर है और इस प्रदेश के लोग इतने समझदार....
वो बयान था की अगर फैसले के बाद प्रदेश में कुछ गतल होता है तो उसकी जिम्मेदार केंद्र सरकार होगी...क्यों की जिंतनी अतिरिक्त फ़ोर्स मैंने मांगी थी वो हमे दी नही गयी..
इसका मतलब ये था की जब प्रदेश का माहौल कैसा भी हो सकता था तब उनको लोगो की नही बल्कि सरकार की चिंता थी...
खैर छोडिये इन बातो को ....हम लोग मुद्दे पर आते है...
मै बात उस पुलिसे वाले की कर रहा था...फिर मैंने सोचा की वो तो पदम सिंह जैसा नही था जिसने मायावती की जुती साफ की और अपने ओहदे को गंदा
मेरे कहने का मतलब ये था की उसको तो पता ही था की पत्रकारों के कैमरे ऑन है उसने तो पदम सिंह जैसा धोका नही खाया ...
लेकिन फिर मेरी समझ में आया हो सकता की ये बोतली तस्वीर इनको पदम सिंह जैसा बनने में प्रथम सीढ़ी साबित हो...
हाला की मायावती जी इन सब मामलो में बहुत इमानदार है वो जिस पर खुश हो जाती है...तो हो ही जाती है..(आब्दी साहब )
लेकिन कुछ भी हो किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को ये बर्ताव क्ति शोभा नही देता...
लेकिन ये इनकी चालाकी है या फिर बेवकूफी ?
ये तो यही बता सकते है....

3 comments:

  1. सही कहा आपने

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  2. पदम सिंह द्वारा किया गया कृत्य और आप के बताए वाकये से स्पष्ट है कि चाटुकारिता प्रदेश मे अपने चरम पर है... मायावती जिस गाँव मे जाती हैं जनता की आवाज़ दबाने के लिए घरों मे ताला लगा दिया जाता है... माया के भाषण मे हमेशा हमारी पार्टी और विरोधी पार्टी इन दो शब्दों की भरमार होती है... और पार्टी चंदा और कुर्सी के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है इन्हें...
    ऐसे अधिकारी माया सरकार के घड़े को भरने का ही काम कर रहे हैं

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