Tuesday, March 22, 2011

जब जवाब भी कभी प्रश्न छोड़ जाता है......

नमस्कार मित्रो......
इस बार मै आपको कोई भी गहरी बात नही बताने जा रहा हु लेकिन जो बता रहा हु वो आपको कुछ गहराई में ले जाये ऐसा प्रयास करूंगा...
दोस्तों हम न जाने कितने लोगो से रोजाना मिलते है कुछ जानने वाले होते है तो कुछ नही जानने वाले , हम लोगो से या तो कुछ पूछते है या कुछ उनको बताते है
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है की आप किसी से कुछ पूछ रहे है और आपको उस प्रश्न का उत्तर पता है ऐसा आपको लगता है लेकिन अचानक से आप को लगे की नही हमको तो नही पता या फिर ऐसा कुछ हुआ की आपने किसी से कुछ पूछा और और उसने उसका उत्तर न देकर एक ऐसा उत्तर दिया जो खुद आपको एक सवाल के घेरे में खड़ा कर दे ..
मै दावा करता हु की आपके साथ ऐसा जरुर हुआ होगा लेकिन आप इन छोटी बातो को ध्यान नही दिए होंगे ..
क्या स्थिति होती है जब आपके प्रश्न से एक खुद प्रश्न खड़ा हो जाता है जिससे की आप सामने वाले की तुलना नही कर पाते की ये कैसा चरित्र है ...इसका अपने हिसाब से कितना ज्ञान है ? और कितना ज्यादा है या कितना कम..?
मेरे साथ ऐसी स्थिति दों बार उत्त्पन्न हुई लेकिन मै आज तक ये सोच नही पाया की उसका जवाब जो भी था वो उसके हिसाब से कितना सही था ?
अब मै आपको उन दोनों घटनाओ के बारे में बताने जा रहा हु ...
पहली और ताज़ा घटना ये है की मेरे एक मित्र ने एक बार कहा की उन्होंने आज तक सब्जी नही खरीदी है ...
और इस बात पर हम लोग उनका बहुत मजाक उड़ाते है लेकिन वो बुरा भी नही मानते आज भी ऐसी ही बात चल रही थी की आपने तो सब्जी भी नही खरीदी है आज तक तो उन्होंने कहा नही मैने खरीदी है .
फिर हमने पूछा की क्या खरीदी है?
तो वो बोले की लहसन और अदरक ....
फिर मैंने कहा की ये कोई सब्जी होती है ...?
फिर मै तुरंत सोचा की हमको तो पता है की ये सब्जी नही है लेकिन ये फिर है क्या ?
और मै तुरंत ही और लोगो से पूछा की लहसन और अदरक क्या है...तो वह बैठे अन्य लोगो ने बताया की ये चीजे मसाले के अंतर्गत आती है ..
अब सोचने वाली बात क्या है की हमको इतना पता है की ये दों चीजे सब्जी में नही आती लेकिन इस उत्तर एक प्रश्न ये खड़ा हुआ की आखिर इनका वर्गीकरण किसमें होगा ..?
अब दूसरी घटना ये है की एक बार मै मेस में यू ही बैठा था और मेस के दों छोटे छोटे बच्चे जिनकी उम्र करीब १० साल होगी..
मैंने उन दोनों को पास बुलाया उनमे से एक से मिने पूछा की मान लो की तुम्हारे पास दस रसगुल्ले है और तुमने उनको कही छुपा कर रख दिया है की बाद में जब मन होगा तब खाओगे लेकिन तुम्हारा मित्र (दुसरे लडके को इशारा करते हुए) जिसको तुम्हारे रसगुल्लों के बारे में पता है ने जा कर दस रसगुल्लों में से चार रसगुल्ला खा लिया ...और जब तुम वहा गये तो तो देखे की वह पर सिर्फ पांच रसगुल्ले है.. तो कितने रसगुल्ले और हो जाये तो तुम्हारे दसो रसगुल्लों का हिसाब मिल जाये ..
हाला की उसको प्रश्न कई बार समझाना पड़ा लेकिन जब मैंने उसका उत्तर सुना तो मै खुद एक सवाल में घिर गया की इसका उत्तर सही है या गलत...?
इसने क्या सोच कर ये उत्तर दिया होगा ...
अब मै आप लोगो को उसका उत्तर बताता हु ...प्रश्न के हिसाब से तो उत्तर हुआ की अगर एक रसगुल्ला और मिल जाये तो दसो रसगुल्लों का हिसाब मिल जायेगा ...
लेकिन उसका उत्तर था की उसका मित्र चार रसगुल्ला खा ही नही पायेगा...
और उसका ये जवाब सुन कर मै फिर उसको सही उत्तर बता ही सका ....
क्यों की हमको उसका जवाब भी सही लग रहा था की वो छोटा लड़का चार रसगुल खा ही नही सकता...
लेकिन हमको अपना सवाल भी सही लग रहा था...
तो मित्रो कभी कभी हम खुद के द्वारा किये सवालो से घिर जाते है ....
और उसका जवाब भी कही न कही एक प्रश्न छोड़ जाता है..............

3 comments:

  1. हा हा बढ़िया भाव अभिव्यक्ति

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  2. उम्दा !!!!!!!!!!
    पर कुछ कश्मकश,कुछ दुविधा के आवरणों में लिपटा..........और एक बात और वर्तनी की अशुद्धियाँ अपने चरम पर है !

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  3. mza aaya....bhai adarak JADH hoti hai aur lehsun masala hota hai pyaz ki jati ka......mujhe aisa lagta hai...

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