Wednesday, April 7, 2010

खबर का महत्व

दोस्तों...

आज हम लोग खबर के महत्व के बारे बात करेगे... लेकिन उससे पहले हम लोग खबर के बारे में ही बात करेगे... वो भी हमारे हिंदुस्तान के खबर के बारे में...यू तो हर खबर किसी न किसी घटना से निकल कर आती है लेकिन यहाँ बात थोड़ी सी अलग है....यहाँ हर घटना के बारे में सबको पता रहता है फिर भी लोग उस घटना को दुर्घटना में तब्दील होने का इंतजार करते है....

फिर शुरू होता है घटना का महत्व ......

आज मै जैसे ही...सुबह का अख़बार लिया और हमको पता चला की हमने कल शाम को जब पूरा देश इंडियन प्रीमियम लीग के रोमांचकारी मैच का लुफ्त तालियों के साथ उठा रहा था तभी हमारे देश के जाबाज सिपाही नक्सलियों के साथ गोलियों के साथ खेलते खेलते वीर गति को प्राप्त हो गये.... और हमने देश के चौराशी वीर सपूतो को हमेशा के लिए खो दिया....

अब बात करते है इस खबर के महत्व का....

इस खबर का महत्व सबके लिए अलग अलग है.....

१- विरोधी पार्टी के लिए ये एक मुद्दा होगा.......... हो सकता है की कल को विरोधी पार्टी मनमोहन सिंह से नैतिकता के आधार पर इस्स्तिफे की मांग कर दे... मतलब की इस खबर का महत्व इन के लिए ये है की ये अपनी राजनीतिक रोटी सकने से बाज नही आयेगे....

२-सत्तारूढ़ पार्टी शायद इस बार एक बार फिर नक्सलियों को मुहतोड़ जवाब देने का स्वांग रचे....अब घटना घटित हो गयी है तो कुछ न कुछ फायदा तो निकलना ही पड़ेगा न.....?

३-अब बात करते है विद्यार्थी वर्ग की....उसके लिए ये खबर एक सामान्यज्ञान के अलावा कुछ नही है....

४-बाकि के लोग जो की मनुष्य की परिभाषा को परिभाषित करते है की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है....उनके लिए ये खबर चाय के चुस्स्कियो का मजा बढाने का साधन है....

५-अब बात करते है....उस बाप की जिसकी आँखों के सामने उसके जवान बेटे की चिता जलेगी। बात करते है उस बहन की जो सब कुछ जानते हुए भी आने वाले हर राखी पर अपने भाई के उन्ही हाथो का इंतजार करती रहेगी जो हाथ दुश्मनों को पीछे धकेलते धकेलते कब का उस बहन के पहुच से बहुत दूर जा चूका है। बात करते है उस माँ का जिसकी गोद केवल इस लिए सूनी हो गयी क्यों की उसका बेटा भारत माँ के आँचल में लगे धब्बो को साफ कर रहा था।

उन लोगो को उस वक़्त और तकलीफ होगी जब हमारे देश के राजनेता हमेशा की तरह उन शहीदों के माध्यम से अवसरवादिता की राजनीती करेगे।

आज शुबह जब मैं अख़बार पढ़ा तो उसमे लिखा था की होम मिनिस्टर जी को इस हमले का बहुत दुःख है।

अब मै ये सोच रहा हु...की होम मिनिस्टर साहब एक आम आदमी के जैसे लाचार है ? या फिर मै खुद एक होम मिनिस्टर के जैसे सोच रहा हूँ... ? क्यों की दुःख उनको भी हो रहा है और दुःख हमको भी हो रहा है।

जवान तो अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे थे.... इसमें कोई शक नही की गलती सरकार की थी।

आपको हम बताते चले की जब हमारे देश के ये नेता सड़क पर चलते है...तब सडक एक तरफ पूरी तरह रोक दी जाती है...और उनके वाहनों के काफिलो तमाम प्रकार की तकनिकी से युक्त गाड़िया चलती है....तो इस तरह की गाड़िया इन जवानों को क्यों नही दी जाती है....?

हमको अब जागना होगा ऐसे घटनाओ के खिलाफ....

क्यों की वो naxli जो पढना लिखना भी ढंग से नही जानते है वो पुरे देश की सेना की आँखों में धुल कैसे झोक सकते है...?कही न कही माने या न माने हमारी हर सरकार ने हमे धोखा दिया है.... अब धोखा नही खायेगे....हमलोगों ही अब कुछ करना पड़ेगा... क्यों की...

"ये सियासत की तवायफ का दुपट्टा है यारो...ये किसी के आंसुओ से तर नही होता...."

Saturday, April 3, 2010

रंगों की बात......

नमस्कार मित्रो
हम लोग आज रंगों के बारे बात करेंगे.....
आप लोग यही सोच रहे होंगे की ये लू के मौसम में रंगों की बात करने क्या मतलब है...? मै तो कभी कभी ये सोचता हु की बात करने का ही क्या मतलब है....?
खैर छोड़िए हम भारतीयों की सबसे बड़ी खासियत यही है की हम हर काम शुरु करने के बाद ही उसका मतलब सोचते है....की उसका क्या फायदा होगा और क्या नुकसान ?
यही वजह है की सड़क के लिए पहले धनराशी अवमुक्त होती...है फिर किसानो को ये समझया जाता है की जो सड़क बनेगी उससे आपकी जमीन बर्बाद होगी...
अगर जमीन बचाना है तो सब लोग अपना काम छोड़ कर लखनऊ चलो...............
इस तरह जो पैसा पास होता है वो है ये तो नही पता लेकिन ये जरुर पता है की जो सड़क बनने वाली थी उसमे गढ़े और साथ ही साथ उस पर मरने वाले लोगो की संख्या रोज रोज बढती जाती है और हम अपने किसी प्रिय को खो कर किसी छुटभैया नेता को अपनी राजनीती चमकाने का मौक़ा दे देते है.....
लेकिन कभी भी ये नही सोचेंगे की इस तरह की गन्दी और काली राजनीती से हम लोग निजात कैसे पा सकते है...?
अरे हम लोग रंगों के बारे में बात करते करते ये कहा चले आये ?इस लम्बी चौड़ी बात में रंगों के बारे में बात करना तो हम लोग भूल ही गये....
अरे माफ़ कीजियेगा ....कहा भूल गये....?
हम लोगो ने काली राजनीती के बारे में तो किया तो है.....
अब चलिए हम लोग काले रंग के बारे में बात करते है.....
जरा सोचिये अगर राजनीती काली है तो खराब है.....लेकिन बाल काले है तो ठीक है.....
जब किसी को बुरी नज़र से बचाना होता है तो हम लोग उसको काला धागा पहनने को को कहते है......लेकिन
जब वही किसी शादी में जाता है तो उसको ये सुझाव दिया जाता है की बेटा शादी में काला कपडा नही पहनते...जो की वो भी उसी धागे से बना है जिस धागे को बांध कर लोग अपने आप को बुरी नज़र से बचाते है....
इन सब बातो को सोच कर तो ये लगता है की हमने अपनी सोच की आगे इन रंगों की एक न सुनी....जरा सोचिये की ये काला रंग अपनी परिभाषा लोगो को क्या बताता होगा....
वो शायद यही कहता होगा की मेरी परिभाषा में (*) नियम एवं शर्ते लागु होती है......
जैसे.... काली मिट्टी में मेरी एक अच्छी छवि है....और वही काली कमाई में बुरी.....वो ये प्रश्न भी करता होगा की....बुरी कमाई के लिए काली लिखना जरूरी है.....?
इस लिए मै काले रंग के साथ हमेशा हमदर्दी रखूँगा...क्यों की....मैंने एक बचपन में एक मुहावरा पढ़ा था...."कालिख पोतना " ये मुहावरा अभी अभी सच हुआ था.....टेनिस सनसनी सानिया मिर्ज़ा के माध्यम से....इन्होने बड़ी सफाई से समस्त भारत के कुवारों के मुह पर कालिख पोती है....
इस लिए हम इस नतीजे पर पहुचते है की.....पहले दिलवाले होना सीखिए....काला और गोरा तो हम अपने कार्यशैली से ही हो सकते है.....अपने सफलता और असफलता के बीच में बेचारे रंगों को न पीसीए....
आपकी प्रतिपुष्टि का हमे इंतजार हमेशा रहेगा.....
धन्यवाद...