Sunday, October 19, 2014

मोदी बने भारतीय राजनीति के बालि

नमस्कार मित्रो,,,,,ध्यान से मितरों नहीं कह रहा...
मनीष हूं मोदी नहीं..वैसे हो भी नहीं सकता और न ही होना चाहता हू...खैर छोड़िए क्या बतीयाने आए थे संबोधन में ही उलझ गए....
लोकतंत्र  के महापर्व  का एक और पर्व महाराष्ट्र और हरियाणा में संपन्न हुआ और चुनाव का परिणाम भी लोगों के सामने आया है...इस चुनाव में राजनीतिक पंडितों आकड़े मौसम विभाग के हुदहुद के आकलन की तरह करीब करीब सही साबित हुए है...मोदी की इस हुदहुद ने हरियाणा में कांग्रेस को तबाह कर दिया....वही महाराष्ट्र में भी सत्ता के रथ के सारथी होगी बीजेपी....लोकसभा के बाद अगर उपचुनाव को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी में मोदी मैजिक का दूसरा लोकतांत्रिक शो पूरी तरह से बैंग बैंग रहा...उनको इसकी बधाई....बात करें कांग्रेस की तो इसकी जगह जगह सिरियसली कॉमेडी नाइट्स ही नजर आ रही है. वही मोदी महाराष्ट्र और हरियाणा के  मतादाताओं को मोटीवेट करने में कामयाब हुए लेकिन भारतीय राजनीति के सबसे बड़ा भंवर माने  जाने वाले  उत्तर प्रदेश और बिहार में मोदी का मैजिक....टाटा की मैजिक छोटा हाथी ही साबित हुआ जो लड़ा तो लेकिन हार गया....लेकिन यहा बात मोदी मैजिक के बैनर तले हुए इस दुसरे शो की जो पूरी तरह सफल हुआ...मोदी ने महाराष्ट्र में इस बार मानसिक राजनीति की....मोदी जो इस चुनाव में वोटरों के ऑनर किलिंग का शिकार नहीं होना चाहतें थें....लिहाजा मोदी ने मानसिक राजनीति करते हुए शिवसेना के साथ उन्होने तलाक ले लिया लेकिन  महाराष्ट्र के लोग इसे समझ नहीं सकें.. महाराष्ट्र के लोग बीजेपी और शिवसेना में हुए तलाक को  दोनों पार्टियों का एक बड़ा राजनीतिक दु:साहस मान रहे थें लेकिन तलाक के बाद भी कोई अपने एक्स फॉदर इन लॉ के सम्मान में रैलियों में कुछ नहीं बोलेगा...इसकी राजनीति भी कोई नहीं समझ सका..मोदी ने बाला साहेब के बारे में कुछ नहीं बोला की इसलिए की वो उनका सम्मान करतें है क्या वो इंदिरा ,नेहरू ,लोहिया का सम्मान नही करते...लेकिन इस तलाक के कारण वो मतदाता जो उत्तर भारतीय और बिहारी है वो भी बीजेपी के करीब आया जो शिवसेना को नहीं चाहता था..लेकिन वो फॉदर इन लॉ के रिस्पेक्ट की राजनीति समझ नहीं सका और बीजेपी को एक दो तीन (123) करते हुए सत्ता के शिखर पर गयी...और इधर शिवसेना ने भी ऐलान कर दिया अभी तलाक हुआ नहीं है... मामला फैमिली कोर्ट है अगर कोई कांउसलिंग करता है तो वो समझने के लिए तैयार है....खैर जो भी हो राजनीति में कुछ सही सही के करीब हो सकता है लेकिन सही कुछ भी नहीं होता है...क्यों कि मोदी भावनाप्रधान नेता नहीं है इसलिए प्रफुल्ल पटेल के न्यौते को भी मीडिया में उछाल दिया है....की अकेले की मेहनत है जहां इतना गेन किया वह थोड़ी बारगेनिंग तो की ही  है। .... ये बात तो माननी  पड़ेगी की उन्होने बीजेपी को नया रिवाइटल दिया है जिससे पूरी बीजेपी जोश में है...हरियाणा का परिणाम देखकर भी यही लगता है...जहां बीजेपी ने सीएम के उम्मीदवार की घोषणा किए बगैर चुनाव लड़ा और नेताओं और कार्यकर्ताओं को सिर्फ चुनाव  पर फोकस करने को कहा....अमित शाह के आक्रामक रवैये ने कार्यकर्ताओं ने जोश भरा तो हुड्डा भी हर वक्त हड़बडाते रहें....मेरे एक मित्र जो एड कैंपेन के लिये काम करते है वो उन्होंने हरियाणा में हुड्डा की स्थिति बताई...लिहाजा मोदी ने हरियाणा में भी बीजेपी के हुड़हुड़ दबंग घोषित किया है....इन परिणामों से एक बात और निकल कर सामने आई है पता नहीं ये बात सामना में छपे या नहीं इसलिए यहा लिख रहा हूं...कि मोदी ने अपने इस एकतरफा प्रदर्शन से ये साबित कर दिया है...वो बीजेपी और भारतीय राजनीती के बालि बन कर सामने आए है...वो जिससे लड़ने जातें है उसका आधा बल अपने अंदर खींच लेते है...बस मोदी के अब राम ही मार सकतें है...ऐसा ही हुआ था रामायाण में....
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Thursday, September 11, 2014

जो साला लव है वो शुरू से ही जेहादी रहा है

अबे वीकली ऑफ़ के दिन मूड  ऑफ़ न करो
जा कर पहीले सोशल इंजीनियरिग को समझो तभी कहते है की अभी मानसिक रूप से अवयस्क हो तो हठीया जाते हो की अब हम बड़ा हो गया हूँ
सुनो
ये जो साला लव है वो शुरू से ही जेहादी रहा है ये झारखण्ड और जबलपुर से  ही नही शुरू हुआ है
साला बच्चें  कितने हिम्मत से उनके खिलाफ होते है जिन्होंने उनको ऐट लिस्ट अठारह साल तक पाला पोशा
लड़कें  बेचारे प्रेमिका का नाम  मोबाइल में रितेश लिख कर सेव करते है और घर परिवार समाज के डर से लड़की रीता का नाम लिख देती है प्रेमी की नाम की जगह
की बाप इंस्पेक्टर गोपी चन्द्र भी बन जाये तो भी न पकड़ पाए...और जब पकड़े जाते हैं और तो ये टीवीबाज़ टाइप के दो कौड़ी के लोंग  खाप पंचायत कर के लड़के लड़की दोनों को बेज्जत करते है … अबे अगर ये रोकना है तो बच्चों तो इतनी छूट तो दो की अगर प्रेम है तो घर वालों से बता सके ये बेचारे ।
अबे लव स्टोरी पर बनी फिल्म को अपनी पाकिट फूंक १०० करोड़ कमवा देते तो लेकिन लव को समझ जाओ तो कम से कम घर की खुशियां फुकने से बच जाएँ
इसलिए बात को समझो और लोगों को भी समझाओ, हमेशा की अपनी दिमागी डिक्टेटरशिप से ये मत समझना की दो मिनट के आये और ज्ञान दे कर चले गए …ज्ञान है ही नही मेरे पास 

Thursday, July 3, 2014

व्यापम की व्यापकता पर जाएं

दोस्तों एमपी में हुं....इस वजह से यही के बारें में लिखना ज्यादा सुविधाजनक हो रहा है क्योकी पढ़ कर लिखना हमको आया ही नहीं आज तक..... इसी वजह से इस पते पर आपसे कम ही मुलाकात हो पाती है.....
हालांकि पहले मै मित्रों लिखता था लेकिन जब मोदी जी को मित्रों कहते सुना है तब से ये संम्बोधन हमको ठगने वाला लगता है.....
खैर मुद्दे  पर आते है एमपी गजब है और सच में गजब है..इस वजह से नहीं की सैकड़ो यहां शेर है..इस वजह से की जिस स्टेट में पिछलें चार साल से डाक्टर नकली , आरक्षक नकली , फूड इस्पेंक्टर नकली , परिवहन आरक्षक नकली, दुग्ध विभाग के कर्मचारी नकली और सरकार को पता ही नहीं वो स्टेट अपने आप में गजब है...कैसे व्यापम मतलब व्यवसायिक परीक्षा मण्डल को यहा के सिस्टम ने व्यावसाय का परीक्षा मण्डल बना दिया है...और सत्ता और विपक्ष दोनों के वार पलटवार का नाट्य रुपांतरण सड़क और सदन दोनों में रोज देखा जाता है..लेकिन किसी ने भी ये व्यापम की व्यापकता पर ध्यान नहीं दिया की इसका प्रभाव क्या हो रहा है...सारे के सारे सिर्फ राजनीतिक रस्मो रिवाज पर ही ध्यान दे रहे है...सीएम इस्तीफा दे और सीएम कह रहे की जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा....लेकिन सीएम साब यह नहीं सोच रहे की जहां सिर्फ पानी ही पानी हो उसमें उनकी जांच दूध कहां से लाएगी...बीजेपी जो टू जी घोटालें और कोयला घोटाले पर आसमान सिर पर उठा कर घूम  रही थी की जनता के पैसों का बंदरबाट हुआ है इतने पैसों से पता नहीं कितने गांवों की बिजली और कितने लोगों को रोजगार मिल सकता है कहा करती थी....वो इस फर्जीवाड़ें में आखिर मुखर क्यों नहीं हो रही है....क्योकिं घोटाले ज्यादा खतरनाक फर्जीवाड़ा होता है..टू जी से हम लोगों को क्या नुकसान हुआ हमको आज तक पता नहीं चला...लेकिन उन छात्रों से पुुछिए की जिन्होने एक अदद नौकरी के लिए फार्म भरा था...पेपर दिया था ...माना की फेल भी हो गये...लेकिन जब उनको पता चला की उनको फेल इस वजह से होना पड़ा क्योकि जो फेल हो जाते , उनको पास कराना था....अब आप ही सोचिए की तंरगों की चोरी या कोयले की चोरी और भविष्य की चोरी , उम्मीदों की चोरी , सपनों की चोरी में कौन बड़ा होता है.. देश के लोगों के लिए इसमें से कौन सी चोरी ज्यादा खतरनाक साबित होगी...खैर हर मामले की जांच होती है इसकी भी चल रही है लेकिन जांच के नाम पर उनको पुलिस ने उठा लिया जिन्होने सिर्फ फार्म  भरा था...उनको उठा लिया जिनको दलालों ने फोन किया था , उनको उठा लिया जिनकी उनती हैसियत ही नहीं की वो दस दस लाख लेकर अपने बच्चों को पास करा सकें..और जो बड़ी मछली है उन तक हमारी जांच एजेंसी पहुंच ही नही पा रही है....सीएम साब क्यो नहीं नैतिकता के आधार पर कोई कड़ी कार्रवाई रहे है..क्या अपने एक मंत्री को गिरफ्तार करा देने से ही उनका काम खत्म हो जाता है....अगर सब कुछ सही हुआ है तो तोते से जांच क्यों नहीं करा देतें...अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआई दोनों क्यों नहीं प्रभावित छात्रों के लिए धरना दे रहे है...क्यो दोनों सिर्फ अपने आप को इस राजनीति में स्थापित करने के लिए ही पुलिस के वाटर कैनन के सामने भींग रहे है....क्यों नहीं वो उन छात्रों के आंसुओं में भींग कर सरकार से कोई एक साकारात्मक उपाय की बात कर रहे है...क्यों नहीं मामा अपने भांजे भांजियों के लिए कोई ऐसा रास्ता निकाल रहे है की जैसे ये घोटाला इतिहास बनता जा रहा है वैसे इसका ट्रीटमेंट भी एक ऐतिहासिक हो जाएं...सत्ता और विपक्ष दोनों को व्यापम की इस अंधेरी व्यापकता पर जाना होगा...जो इस घोटाले के उजागर होने के बाद गुम हो गई है...क्योकि मामा का रिश्ता तो हमारे समाज में सबसे प्रिय रहा है , सिर्फ एक शकुनि को छोड़ कर...




Friday, March 14, 2014

ठेकेदार बन कर भोगना तुमको ज्यादा आसान है

कल तुम्हारा दिन है
कल के दिन तुम्हारी बात होगी
की तुमको किताना भोगा गया
अब कितनी बची हो

कल मै भी कहूंगा बहुत चिल्ला कर 
किसी न किसी संगोष्ठी में , वर्जन में , बाइट में 
की जो भी तुम्हारे साथ होता है
वो ठीक नहीं होता 

कहूंगा मै भी कुछ ऐसा की
मै भी खुद को तुम्हारे
सुरक्षा के ठेकेदारो में शामिल कर सकूं

क्योकि मै जान गया हूं
तुमको ठेकेदार बन कर भोगना
अब ज्यादा आसान है

मनीष यादव

Tuesday, March 11, 2014

मोटीवेट करेगी मो 'टी '...!

जी हां सत्ता का समर सामने आ गया है तारिखो का एलान भी हो गया है, ऐसे में अब तक का सबसे प्रयोगिक चुनाव माना जा रहा ये सोलहवी लोकसभा का आम चुनाव जरुर ही दिलचस्प होगा क्योकि इन चुनावो में जैसे से प्रयोग हो रहे है वैसे प्रयोग आज तक कभी नहीं हुए , कोई पार्टी सीधे सीधे जनाता के पूंछ रही है की वो सरकार बनाये की नही बनाये
तो कोई नुक्कड़ लगा कर जनता से सीधे संवाद कर रहा है की लोग क्या सोचते है और क्या करना चाहते है हर हाथ शक्ति की बात हो या तरक्की के पिछले दस सालों कि रिपोर्ट सभी पार्टीया अपने को सबका हितैषी बता रही है..इसी तरह के प्रयोगों में एक प्रयोग है मोदी की टी मतलब मोदी की चाय....मोदी अपनी चाय से लोगो को मोटीवेट कर रहे है की सरकार उनको बनाया जाय और वो अपने मैनेजमेंट से देश को गुजरात बना देंगे हालाकि बाकि पार्टिया देश को सब कुछ बनाने को तैयार है लेकिन गुजरात नहीं और मोदी है की हर गुजरती रात के बात उनकी तैयारियां जोर पकड़ ले रही है इसी सिलसिले में मैनेजमेंट में माहिर मोदी ने अपने उपर किये गये मणिशंकर अय्यर के कटाक्ष को ही अपना चुनावी कवछ बनाया है और चाय वाला मोदी अब मोदी चाय बन कर जनता से सीधे संवाद कर रहा है, आज तक तो हमारे देश की सरकारे मंदिर और प्याज पर ही गिरने और बनने का रिकार्ड था ऐसे में पहली बार सत्ता की चाह में चाय इनवाल्ब हुआ है चाय पर ई गवर्नेंस की बात हो रही है , चाय पर महिला सुरक्षा की बातें हो रही है, चाय पर महंगाई की बात हो रही है, चाय पर कश्मीर मुद्दे की बात हो रही है ,ऐसे में चाय का सत्ताउपयोगी चरमोत्कर्ष मैने पहली बार देखा है...खैर जो भी हो इस समर वेकेशन में चुनावी समर भी है एक तरफ यूपीए ने अपने आपको युवा जोश का समर्थक बताया है तो वही मोदी लोगो के सुहाने सपने दिखा रहे है ताकि लोग उनसे जुड़ सके लेकिन देखना होगा की मो "टी " करेगी मोटीवेट