Saturday, October 30, 2010

हाय रे होठ लाली...................................

नमस्कार मित्रो ....
आप सबको दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाये....
आज हम लोग बात करेंगे धमाके की.....एक ऐसे धमाके की जो की इकोफ्रेंडली धमाके जैसा लगता है....
लेकिन आपको भारत वर्ष के बारे में पता तो होगा ही....यहा होता कुछ है होते होते कुछ और ही हो जाता है...
यहाँ कोई जूता घिस घिस कर उतना नही कमा पता पता जितना की एक लड़का किसी गड्ढे में गिर कर कमा लेता है....(प्रिंस)
यहा के लोगो को यहा की समस्या नही दिखती और बाहरी कोई यहा की समस्या पर छोटी सी फिल्म बना कर ओस्कार जित जाता है....(स्माइल पिंकी )
खैर छोडिये यहा ऐसे धमाके होते रहते है.....
इस बार जो धमाका हुआ है वो भी सृंगार से निकला हुआ है....
वो है एक यूवती के सोलहो सृंगार में से एक होठ लाली....
हुआ ये की...आई आई टी रुडुकी में कुछ दिन पूर्व वहा के लडको ने अपनी सह:पाठी महिला मित्रो को अपने मुह में लिपस्टिक दबा कर उनके होठो को लाल किया.....और साथ ही साथ अपनी संस्कृति को कालिख भी पोत दी....
हमे एक तरफा विरोध करने से पहले ये सोचना चाहिए की ये वो लोग है जिनकी इस हरकत को बचकाना कहना और भी बचकाना होगा...क्यों की ये लोग हमारे देश के भावी ईन्जीनियर है....
इन लोगो ने ऐसा करने से पहले क्या सोचा होगा ?
ये तो यही लोग बता सकते है....लेकिन एक बात जो हमारी समझ में आती है वो है की विदेशियों की नकल...
वो ही लोग ऐसा काम करते रहते है....
मै अपने ब्लॉग के माध्यम से उनको ये बताना चाहता हु की हम लोग जिनकी नकल आंख बंद कर के कर है....वो लोग कल भी ऐसे ही थे और कल भी ऐसे ही रहेंगे....
लेकिन कल हमारा देश सोने की चिड़िया और विश्व का गुरु था....,लेकिन आज क्या है...
आज हम जो भी है अपने इस नकल करने के स्वभाव के कारण ही है...॥
जो कुछ भी .आई आई टी रुडुकी में कुछ दिन पूर्व हुआ वो हमारे शैछिक वातावरण को दूषित करने के लिए पर्याप्त है...
आज हम विदेशियों की नकल और इंटरटेनमेंट के लिए लिपस्टिक लगा रहे है और कल मंगलसूत्र पहनायेंगे और सिंदूर भी लगा देंगे....
जब हम इस बारे में और लोगो से बात किये जिसमे सभी वर्ग के लोग थे तो कुछ युवा ऐसे मिले जो की इस घटनाक्रम को एक दम से सही करार दिया और कहा की अब हमको इतनी छुट तो मिलनी ही चाहिए...
तो इससे एक बात साफ है की जब तक हमारे आधुनिकता ,समाजिकता और नैतिकता में उचित ताल मेल नही होगा तब तक हम सही मायने में विकसित नही हो पाएंगे...
इस के लिए आब वक़्त आ गया है क्यों की.....
अब ऐसे मंजर सामने आने लगे है...
लोग गाते गाते चिल्लाने लगे है....
शिछा का पानी बदल दो यारों...
क्यों की इस्सके पुष्प दल मुरझाने लगे है....
आपकी प्रतिपुष्टि का इंतजार है हमको.....

Tuesday, October 26, 2010

ये सडक दो ज्योतिषियों की दुकान से हो कर जाती है....

मित्रो को नमस्कार और बडो को प्रणाम....
कल मै जब अपने हॉस्टल से निकला तो मेरी मंजिल थी...भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय....मुझे रास्ता ठीक ठीक नही पता था ..मै जब निशातगंज पहुचा तो एक सज्जन से कार्यालय का पता पूछा उन्होंने बताया की आप एकदम सीधे चले जाईये...जहा पर आपको ज्योतिषियों की दुकान मिलेगी..वही आपका कार्यालय है....
मै वह पहुचा और काम निपटा कर बाहर आया तो हमको लगा की उस सज्जन व्यक्ति ने हमको पूरा पता नही बताया...क्यों की यहाँ सडक के दोनों तरफ ज्योतिषियों की दुकाने है...
एक तरफ जो की सडक के किनारे अपनी दुकान लगाये है...और दूसरी तरफ विधानभवन जिसमे हमारे राज्य के निर्वाचित ज्योतिषी रोजाना दुकान lgate है....
अब जरा दोनों ज्योतिषियों का तुलनात्मक अध्यन करते है ....
सडक के इस पर वाला ज्योतिषी जो की लोगो का हाथ देखे है और सलाह देते है की...आप ये करेंगे तो आपकी तमाम समस्यां खत्म हो जाएगी....
समस्यां मतलब...बच्चे का दाखिला , बेटी की शादी,बेटे की सरकारी नौकरी ,आर्थिक परेशानी कब खत्म होगी? इत्यादि....
हम aam जनता उनकी बातो का भरोषा भी करते है....
हमे लगता है की ये वाला ज्योतिषी सही कह रहा है....
अब बात करते है है सडक के उस पार वाली दुकान की जिसमे हमारे द्वारा भेजे गये ज्योतिषी आपनी दुकान lgate है....
इसमें दुकान लगाने वाले को विधायक कहते है...
जो की हमारे राज्य का भविष्य का निर्धारित करते है....और उसी राज्य में हम aam लोग भी रहते है...जिनकी समस्या हम पहले बता चुके है...
मजेदार बात ये है की जो समस्या हम लोग सडक के इस पार वाले ज्योतिष से बताते है...वो समस्या सड़क के उस पार वाले ज्योतिषियों के समूह द्वारा पैदा की गयी होती है...
मतलब की बेरोजगारी , महगाई, बीमारी,इत्यादि।
क्यों की इनके गलत काम से हम aam लोग परेसान होते है...
और फिर शांति के लिए सडक के इस पार वाले ज्योतिषियों के पास आते है...
सो हमको अपना ज्योतिषी खुद ही चुनना होगा...जो हमारा हमारे भविष्य को सुरछित कर सके...
इस्सके लिए हमको अपने लोकतान्त्रिक पर्व में मतदान करना होगा...
जो की हमारे हिसाब से सही होगा...
अब मित्रो आप को तो दोनों ज्योतिषियों के बारे में पता चल गया....न॥?
अब मै ये आप को ये छुट देता हु की आप कौन सा ज्योतिषी पसंद करेंगे...
इस पार वाला या उस पार वाला...?
हाला की ये सडक दो ज्योतिषियों की दुकान से होकर जाती है...

Saturday, October 23, 2010

क्या से क्या हो गया लखनऊ...?

नमस्कार मित्रो...
मै अपनी अनुपस्तिथि की बिना कोई वजह बताते हुए.....आप लोगो से माफ़ी मांगता हूँ !
आज हम लोग बात करेंगे..नवाबो और तहजीब के शहर लखनऊ की....और ये जानने की कोशिश करेंगे की "ये कहाँ आ गये हम यु ही साथ चलते चलते ....."
जी हां .....जैसे जैसे वक़्त का पहिया घूमता रहा...वैसे वैसे कल का अवध आज का लखनऊ बन कर सामने खड़ा है....
जहाँ कल इक्के के घोड़े के खुर की ट्प ट्प की आवाज गुजती थी...वही आज फ्र्राटे भरती गाड़ियाँ पीछे से निकल जाती है और आवाज तक नही होती...
लेकिन शोर पहले से भी ज्यादा है...
आखिर इस शोर की वजह क्या है...?
सुनने में तो ये विरोधाभाषी पंक्तियाँ लगती है..लेकिन वक़्त के साथ साथ इस विरोधाभाष की स्वीकारना ही पड़ेगा...
पहले के अवध में केवल लोग रहते थे...न ही एक दुसरे में पतंग के धागे जैसी उलझी सड़के थी...और न ही आकाश को भेदने वाली इमारते॥
थी तो सिर्फ अदब,सादगी,और शांति। था तो सिर्फ सुकून ...जो की आज किसी किसी के पास नही है॥
आज बगल में क्या हो रहा है...किसी को पता नही...लेकिन बिग बॉस में क्या हो रहा है...वो मेसेज के इन्बोक्स में लिखा होता है....
है न विरोधाभास ...
कहते है की आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है....लेकिन यहाँ सब कुछ उल्टा है...
अवध के पास इमारते नही थी...लीकिन वो सबको घर देता था....
आज लखनऊ के पास इमारते है...लेकिन लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजरते है...
अवध के पास अस्पताल नही था ...लेकिन वो सबको निरोग रखता था...
लखनऊ के पास अस्पताल है..फिर भी ऐसी ऐसी बीमारिया सामने आ रही है की पता लगाना भी मुस्किल हो गया है...
अवध के लोग शांति के लिए पूजा करने के लिए अगरबत्ती जलाते थे...
और लखनऊ के लोगो के बच्चे पटाखे जलाने के लिए अगरबती जलाते है...
है न विरोधाभाष ....
हम ये कह सकते है...की हम लोग एक कुश्ती के मैच के रेफरी है...और हमारे सामने..दो लोग लड़ रहे है।
एक नैतिकता और दूसरी आधुनिकता ...हमने अपनी नैतिकता को हर दिया है....
खैर जो भी हो....
हमे खुद को सम्हाला होगा...
आपका का सुझाव के इंतजार में मै अपनी बात यही खत्म करता हु...
नमस्कार...