Thursday, July 3, 2014

व्यापम की व्यापकता पर जाएं

दोस्तों एमपी में हुं....इस वजह से यही के बारें में लिखना ज्यादा सुविधाजनक हो रहा है क्योकी पढ़ कर लिखना हमको आया ही नहीं आज तक..... इसी वजह से इस पते पर आपसे कम ही मुलाकात हो पाती है.....
हालांकि पहले मै मित्रों लिखता था लेकिन जब मोदी जी को मित्रों कहते सुना है तब से ये संम्बोधन हमको ठगने वाला लगता है.....
खैर मुद्दे  पर आते है एमपी गजब है और सच में गजब है..इस वजह से नहीं की सैकड़ो यहां शेर है..इस वजह से की जिस स्टेट में पिछलें चार साल से डाक्टर नकली , आरक्षक नकली , फूड इस्पेंक्टर नकली , परिवहन आरक्षक नकली, दुग्ध विभाग के कर्मचारी नकली और सरकार को पता ही नहीं वो स्टेट अपने आप में गजब है...कैसे व्यापम मतलब व्यवसायिक परीक्षा मण्डल को यहा के सिस्टम ने व्यावसाय का परीक्षा मण्डल बना दिया है...और सत्ता और विपक्ष दोनों के वार पलटवार का नाट्य रुपांतरण सड़क और सदन दोनों में रोज देखा जाता है..लेकिन किसी ने भी ये व्यापम की व्यापकता पर ध्यान नहीं दिया की इसका प्रभाव क्या हो रहा है...सारे के सारे सिर्फ राजनीतिक रस्मो रिवाज पर ही ध्यान दे रहे है...सीएम इस्तीफा दे और सीएम कह रहे की जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा....लेकिन सीएम साब यह नहीं सोच रहे की जहां सिर्फ पानी ही पानी हो उसमें उनकी जांच दूध कहां से लाएगी...बीजेपी जो टू जी घोटालें और कोयला घोटाले पर आसमान सिर पर उठा कर घूम  रही थी की जनता के पैसों का बंदरबाट हुआ है इतने पैसों से पता नहीं कितने गांवों की बिजली और कितने लोगों को रोजगार मिल सकता है कहा करती थी....वो इस फर्जीवाड़ें में आखिर मुखर क्यों नहीं हो रही है....क्योकिं घोटाले ज्यादा खतरनाक फर्जीवाड़ा होता है..टू जी से हम लोगों को क्या नुकसान हुआ हमको आज तक पता नहीं चला...लेकिन उन छात्रों से पुुछिए की जिन्होने एक अदद नौकरी के लिए फार्म भरा था...पेपर दिया था ...माना की फेल भी हो गये...लेकिन जब उनको पता चला की उनको फेल इस वजह से होना पड़ा क्योकि जो फेल हो जाते , उनको पास कराना था....अब आप ही सोचिए की तंरगों की चोरी या कोयले की चोरी और भविष्य की चोरी , उम्मीदों की चोरी , सपनों की चोरी में कौन बड़ा होता है.. देश के लोगों के लिए इसमें से कौन सी चोरी ज्यादा खतरनाक साबित होगी...खैर हर मामले की जांच होती है इसकी भी चल रही है लेकिन जांच के नाम पर उनको पुलिस ने उठा लिया जिन्होने सिर्फ फार्म  भरा था...उनको उठा लिया जिनको दलालों ने फोन किया था , उनको उठा लिया जिनकी उनती हैसियत ही नहीं की वो दस दस लाख लेकर अपने बच्चों को पास करा सकें..और जो बड़ी मछली है उन तक हमारी जांच एजेंसी पहुंच ही नही पा रही है....सीएम साब क्यो नहीं नैतिकता के आधार पर कोई कड़ी कार्रवाई रहे है..क्या अपने एक मंत्री को गिरफ्तार करा देने से ही उनका काम खत्म हो जाता है....अगर सब कुछ सही हुआ है तो तोते से जांच क्यों नहीं करा देतें...अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआई दोनों क्यों नहीं प्रभावित छात्रों के लिए धरना दे रहे है...क्यो दोनों सिर्फ अपने आप को इस राजनीति में स्थापित करने के लिए ही पुलिस के वाटर कैनन के सामने भींग रहे है....क्यों नहीं वो उन छात्रों के आंसुओं में भींग कर सरकार से कोई एक साकारात्मक उपाय की बात कर रहे है...क्यों नहीं मामा अपने भांजे भांजियों के लिए कोई ऐसा रास्ता निकाल रहे है की जैसे ये घोटाला इतिहास बनता जा रहा है वैसे इसका ट्रीटमेंट भी एक ऐतिहासिक हो जाएं...सत्ता और विपक्ष दोनों को व्यापम की इस अंधेरी व्यापकता पर जाना होगा...जो इस घोटाले के उजागर होने के बाद गुम हो गई है...क्योकि मामा का रिश्ता तो हमारे समाज में सबसे प्रिय रहा है , सिर्फ एक शकुनि को छोड़ कर...