Tuesday, August 18, 2015

बिहार मालामाल या फिर weekly ?

बिहार मालामाल या फिर weekly ?
जी हाँ
आज बिहार में सौगातों की आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी होते ही बिहार में लगा की दीवाली आज ही मन गयी। हम तो कन्फ्यूज हो गए की करोड़ ज्यादा होता है या लाख , जहाँ तक मेरा गणित बताता है वो ये है कि करोड़ ज्यादा होता फिर दिमाग में एक सवाल आया की अगर करोड़ ज्यादा होता है तो फिर लाख को करोड़ से पहले क्यों लाया गया । लेकिन फिर दिमाग की बत्ती जली और पता चला की अगर करोड़ से पहले लाख आ जाये तो मामला और बड़ा हो जाता है।
और वही हुआ आज, जैसे ही बादशाह ने अपना पिटारा खोला मनो की आरा में अशर्फियों की बारिश होने लगी
और लोग निजाम के जय घोष में जुट गए
सब सुखी हो गए ,सब संपन्न हो गए आखिर जनता को क्या चाहिए इसके अलावा लेकिन जनता अब जानना चाहती है की वो अब मालामाल है या फिर Weekly?
सवाल जायज है और पूछा जाना चाहिए लेकिन जवाब भी आना चाहिए
आखिर जनता के बीच में सौगात देने का यह सलीका कितना सही है, क्या पी एम सच में जनता का उत्साह देख कर ही पैकेज की राशि बढ़ाते रहे?
क्या अब देश की जनता को ज्यादा से ज्यादा वाजिब हक़ पाने के लिए अपने निजाम के सामने जरूरत की नुमाइश शोर,हल्ला,जयकारे के रूप में करनी होगी?
और अगर नुमाइश देख कर पी एम को मजा नहीं आया तो क्या फिर हक़ का पैसा नहीं मिलेगा
फिर क्या हमको सड़क,बिजली,अस्पताल नहीं मिलेगा
तो क्या ये भी मान लिया जाये की जनता अब जनार्दन न हो कर सर्कस का जोकर गयी है की अपना करतब दिखाओ और बक्शीस में विकास ले जाओ?
जो भी बिहार में आज कई सौ लाख करोड़ की बात हो रही है।
दावा किया जा रहा है की आज तक जो बिहार हुआ है अब उससे ज्यादा अच्छा होगा
खैर जो भी हो बिहार ने अब अपनी हार को टालने के लिए वाजपेयी के भाजपाईयों ने अपनी ताकत झोंक दी है
लेकिन आज के इस एलान ने सवाल यही खड़ा किया है की अब बिहार मालामाल है या weekly?

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