Friday, September 25, 2015

बिहार चुनाव: अबकी बार क्रिएटिव वॉर

बिहार में चुनावी संग्राम अपने चरम पर है, और यह चुनाव यकीनन सारे देश के नजर में भी है। एक तरह से हम कह सकते हैं कि यह चुनाव यह भी बताएगा कि देश में मोदी मैजिक अभी भी चल रहा है या नहीं, यह बताने की जरूरत नहीं कि लोकसभा के जनरल इलेक्शन के बाद नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति के 'बालि' बनकर उभरे । और जो इस बालि से लड़ने आता था उसका आधा बल मोदी के हर लेते थे और सामने वाला हार जाता था । लेकिन यह तभी तभी हुआ कश्मीर को छोड़कर जब मोदी सीधे-सीधे अपने विरोधियों से लड़े हैं। क्योंकि दिल्ली के मामले मोदी ने अपना चेहरा हटा लिया और पूरे देश में चल रहा मोदी का विजय रथ पर केजरीवाल ने ब्रेक लगा दिया । लेकिन बिहार विधानसभा में लोकसभा के सभी चुनावों से भिन्न है । क्योंकि मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,राजस्थान, को छोड़ दें तो हरियाणा और झारखंड की जीत ही भारतीय जनता पार्टी को बताया कि पूरे देश में मोदी मैजिक की लहर चल रही है । लगतार जीत , बीजेपी की दिल्ली में चेहरा उतारने की चूक और फिर अब पूराने तरीके से फिर बिहार में जीत का दांव खेल रही मोदी जनता पार्टी भले ही अपने जीत के लिए आश्वस्त हो लेकिन बिहार में मोदी की पूरी टीम संशय में तो जरूर है और उसकी वजह है कि यहां के प्रैक्टिकल वोटर ।
आम तौर पर उत्तर-प्रदेश और बिहार के लोगों की राजनीतिक समझ और हिस्सेदारी बगैर किसी इंट्रेस्ट के ही और प्रदेश के लोगों की तुलना में ज्यादा होती है औऱ यही वजह है कि बीजेपी इस बार इस शो हिट कराने के लिए पूरी कोशिश में है तो वही नितीश बाबू अपने अपने द्वारा किए गए काम, बिहार की बदली हुई छवि के आधार पर लोगों के बीच में हैं । लेकिन इनसब के बीच इस इलेक्शन में कैसा हो सलेक्शन यह बताने के लिए क्रिएटिव प्रोसेस ने भी लोगों के बीच कदम रखा है । क्रिएटिव प्रोसेस का मतलब अगर हम पोस्टर से लेकर ट्विटर तक हर तरह के प्रयोग । राजनीतिक पार्टी अब इस चुनाव में लोगों दिमाग में नहीं दिल में घुसना चाह रही है । जिसमें सिर्फ मार्केंटिंग है , जनता की बातें ना के बराबर है, जिसका पोस्टर अच्छा है, जिसका ट्वीटर लगातार अपडेट हो रहा है वही ऐसे चुनाव में जीत रहा है । और इसी का नतीजा है कि नीतिश ने भी इसवक्त की लड़ाई के मूड को भांप लिया है और वो भी विरोधियों को वैसे ही हथियारों से जवाब देने के मूड में आ गए है । दिल्ली से जेटली के बयान पर 20 पेज का ट्वीटर पर जवाब दे देतें है । वो उस ऐतिहासिक पैकेज की राशि और उसके आंकड़े कितने फर्जी है यह बताने के लिए बकायदा डाक्यूमेंटेशन करके उसको फेसबुक पर शेयर करते हैं , और तो नारे और हवा बनाने के लिए उन्होंने उसी प्रशांत कुमार मोदी को हायर किया है जिन्होंने लोकसभा के दौरान नरेंद्र मोदी के नारे गढ़े थे और  उनकी ब्राडिंग की थी । इस चुनाव में प्रशांत सिटिजन फॉर एकांउटेबल गवर्नेंस के प्रमुख कार्यकर्ता के तौर पर बिहार में नीतीश के लिए हवा बनाएंगे। प्रशांत बिहार में होनेवाले चुनाव में नीतीश के पक्ष में नए नारे गढ़ेंगे और अन्य जनसंपर्क कार्यक्रम भी चलाएंगे।  उनको डेटा एनालिटिक्स, ब्रॉडिंग और कम्युनिकेशन का मास्टर कहा जाता है । खैर इस चुनाव में नीतिश जीते या फिर मोदी लेकिन चुनाव के तरीके ने यह जरूर बता दिया है कि अब डिजिटल वोटर ही आपको हरा या जीता सकता है । शायह यही वजह से इस टेक्नो फ्रेंडली हो चुनावों के इस माहौल में एक पार्टी पूरे देश में ज्यादा वोट पाने में तो तीसरे स्थान पर रहती है लेकिन सीट एक भी नहीं जीत पाती है ।
                      
लोकसभा चुनाव 2014 में बहुजन समाज पार्टी ने कुल 4.2 फिसदी वोटर शेयर के साथ करीब 2 करोड़ वोट हासिल किए थे फिर भी इस पार्टी को सीट एक भी नहीं मिली थी, बगैर वोट प्रतिशत में गिरावट के ..लेकिन सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि  इस पार्टी के वोटर, ट्विटर और पोस्टर और पब्लिसिटी के इस क्रिएटीव वॉर में कभी विश्वास नहीं रखते । ये देश भर के 2 करोड़ लोग जो अब बढ़ भी गए होंगे वो विचारधारा के वोटर हैं, विचारधारा के कार्यकर्ता हैं । लेकिन इनका प्रतिनिधि एक भी जीत पात इस क्रिएटिव वार में । अब देखना है कि इस बिहार चुनाव के इस क्रिएटिव वॉर में कौन जीतता है ? विकास, नारा, जुमला,वादा, विचाराधारा,ट्विटर,फेसबुक आखिर कौन ?





1 comment: