नमस्कार मित्रो....
विश्व कप का समय चल रहा है...बहुत दिनों के बाद हम आम लोगो की जुबान पर कोई काम की बात हो रही है ...
नही तो इससे पहले हम लोग केवल कामन वेल्थ और कला धन में ही अपनी बुद्धि लगाये पड़े थे की अगर सारा पैसा हमारे देश आ जाये तो हम लोगो के पास इतने रूपये हो जायेगे..
मेरे होस्टल का चपरासी उमेश ने तो यह तक सोच लिया था की जैसे ही पैसा उसके पास आएगा वो एक सत्तर हजार गाड़ी खरीदेगा मैंने उससे पूछा की लेकिन गाड़ी कौन सी खरीदोगे ?
तो वो बोला की कोई भी जो सत्तर हजार में मिल जाये तब मुझे पता चल गया की कैसे लोग कंचन और कामिनी के आ जाने से बावरे हो जाते है और अब्दुल करीम तेलगी के जैसे पकड़े जाते है ...
फिर मैंने उमेश से कहा की गाड़ी के भर तो पैसे नही है तुम्हारे पास लेकिन अगर चाहो तो अभी हेलमेट खरीद सकते हो...
खैर छोडिये इस बात को बात हम लोग मैच की कर रहे है ...
अब मै आप लोगो को कल के मैच का आँखों देखा हाल बताने जा रहा हु ...
एक ऐसा आँखों देखा हाल जो पहले कानो सुने हाल के बाद देखा गया है ....
हुआ यू की कल शाम को जब मै अपने कमरे में बैठा था तब साऊथ अफ्रीका का दों विकेट गिर चूका था और मै अपने मित्र से अपने कमरे में बात कर रहा था...लेकिन जैसे ही कोई बात होती तो कामन हाल में बच्चे शोर मचाते और हमको पता चल जाता की साऊथ अफ्रीका एक और विकेट गिर गया और इसी कानो सुने मैच के हाल से मै खुश था की मै भी लोगो के साथ तमाम सूचनाओ से अपडेट हो जा रहा हु ...जैसे शोर होता मै दों विकेट के बाद की गिनती को आगे बढ़ा लेता और फिर अपने मित्र से बात करने लगता ....
फिर बार बार शोर होता और मेरी गिनती दस विकेट तक पहुच चुकी थी और साऊथ अफ्रीका मेरे हिसाब से हार
चुकी थी
लेकिन थोड़ी देर फिर शोर मचा तो मै सोचा की अब क्यों बच्चे हल्ला कर रहे है तो मुझसे रहा नही गया और मै भी कामन हाल में मैच देखने पहुच गया...
वह देखा तो अभी साऊथ अफ्रीका के सिर्फ छ: विकेट ही गिरे है और मै सम्पूर्ण भारत वर्ष में अकेला ऐसा प्राणी था जो ये खुद ही घोषित कर चूका था की भारत ये मैच जीत चूका है....
फिर मै ये सोचने लगा की आखिर ये बच्चे हल्ला क्यों मचा रहे थे इस सवाल का जवाब मै किसी से पूछने ही वाला था की कैमरामैन
जो की मैच का सीधा प्रसारण हम लोगो को दिखा रहे थे ने अपने कैमरे
का रुख स्टेडियम में मैच का लुफ्त उठा रही एक सुंदर कन्या पर कर दिया वो भी पूरा जूम कर के जिससे हमारे टी वी स्क्रीन पर केवल उस कन्या जिसके चेहरे को गढने मेंभगवान
ने सच मुच में बहुत मेहनत करी होगी...का चेहरा ही दिख रहा था
और जैसे ही वो चेहरा बच्चो ने देखा शोर ,सराबा , सीटिया, के साथ साथ जितनी भी सृजनातमक्ताये लडको में थी सबका खुला प्रदर्शन हो गया और हम को खुद ही पता चल गया की किस कारण हमने बैठे बैठे ही साऊथ अफ्रीका के सारे विकेट गिरा दिए ....
फिर उसके बाद हम लोग मैच देखने लगे जब जब कैमरा मैन वो क्रिया दोहरा रहा था तब तब न्यूटन का तीसरा नियम (क्रिया प्रतिक्रिया ) भी बच्चे सिद्ध कर रहे थे ....
हाला की जब जब विकेट गिर रहा था तब भी बच्चे खुश हो रहे थे लेकिन उत्त्साह में कमी दिख रही थी ...एक बार तो कैमरा मैन ने एक आंटी
जी को जूम कर के दिखा दिया और बच्चे जल्दीबाजी में उनको देख कर भी वही काम कर दिए...
फिर मैंने सोचा की किसी ने सही कहा है की
इस निर्दोष जवानी पर मत जाओ यारो इस उम्र में हर लोग बहक जाते है ...और मैंने उनकी भावनाओ का खुला समर्थन किया ...
धीरे धीरे मैच अपने नतीजे की तरफ जा रहा था और मुकाबला कांटे
का हो गया था अंतिम ओवर में आशीस नेहरा गेंद बजी करने आये और पहली बाल में ही चार रन दे दिए और हम लोगो को पता चल गया था की मैच हम लोगो के हाथ से निकल गया है...उसी बीच कैमरा मैन ने स्टेडियम से एक और सुंदर मुखड़े की स्वामिनी को
अपने कैमरे के माध्यम से हम लोगो तक पहुचाया ,लेकिन इस बार बच्चो को हार
की चिंता सता रही थी लिहाजा इस बार इन लोगो ने ऐसा कुछ नही किया जो ये कुछ देर पूर्व करते आये थे...
इन लोगो को इस दशा को देख कर हमने ये लग गया की लोग सच कहते है की वक़्त के साथ साथ सब लोग बदल जाते है ...बच्चे भी एकदम शांत
हो कर मन में देश की जीत की दुआ करते हुए मैच देख रहे थे...और इसी बीच नेहरा ने एक छक्का मरवा दिया और हम लोगो के मैच जितने की सारी प्रायिकताये समाप्त हो गयी..
तो ये था लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास से भारत और साऊथ अफ्रीका के मैच का आँखों देखा हाल......
wah bhai ..macth ka ant jante hue bhi wahi romanch aaya...
ReplyDeletebhut khub...
कंचन और कामिनी का जोड़ क्या खूब है, कभी-कभी लिखते हो पर सटीक लिखते हो..आनंद आया
ReplyDeleteआँखों का देखा हाल अच्छा लगा
ReplyDeletedhnywad guru ji................
ReplyDeleteअबे बहुत ही बढ़िया लिखा है...इसे जारी रक्खो...ऐसे लिखने वालों की कमी है. आशीर्वाद.
ReplyDelete